Friday, 20 October 2017

महापर्व छठ


पूरब में फैल रही लाली
व्रती देती अर्घ्य की थाली
कब दर्शन देंगे ?दिवाकर
भास्कर ,दिनकर, रवि, सुधाकर
लेकर ईख ,नारियल, हल्दी
डाला लेकर ,चलो जल्दी
गुझिया के क्या !कहने ठाठ
साफ सुथरा तैयार है, घाट
नहाय खाय फिर ,होता खरना
संध्या अर्घ्य और अंत में ,परना
आस्था के मिलते अनेकों रूप
भक्ति का है, अलग स्वरूप
भेदभाव का नहीं है ,नाम 
वैश्य शूद्र सबका है ,काम
उदय-अस्त सूर्य को प्रणाम
हर्षित हो उठा ,हमारा ग्राम



©ANKUR DUTTA JHA

Thursday, 12 October 2017

RSS-राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ


अनुशासन जहाँ ताज बनकर
मस्तक पर सजता है
जहाँ भाषण के बाद भी
ताली न बजता है।
सभ्यता संस्कृति में रचा बसा हर अंग
हम हैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ
जो खेल खेल में हमें
भाईचारा का भाव सिखलाता है।
हँसते खेलते भारत का 
स्वर्णिम इतिहास बतलाता है।
विविधता को एकता में समेटे भगवा रंग
हम हैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ
वीर शिवाजी और भगत की
कहानियाँ सुनाकर
एकता का पाठ पढ़ाते हैं।
जो टुट चुके हैं समाज से
उसे मुख्यधारा में लाते हैं।
हमेशा हैं तत्पर चाहे कच्छ हो या बंग
हम हैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ
यही है वो संगठन जो
उज्जवल भविष्य लाएगा
यही है शक्ति वह जो
भारत को विश्वगुरु बनाएगा।
तो आओ साथ चले इसके संग 
हम हैं राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ


Sunday, 10 September 2017

विज्ञान चलीसा

विज्ञान के महत्वपूर्ण तथ्य कविता के रूप में
 Genral Knowledge से संबंधित जटिल तथ्य जिन्हें आप आसानी से याद नही रख पाते, उन तथ्यों को बहुत ही आसान व रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है !! इसके माध्यम से आप बहुत ही कम समय मे सामान्य ज्ञान को याद कर पायेगें !!  - 
   जय न्यूटन विज्ञान के आगर, गति खोजत ते भरि गये सागर ।
   ग्राहम् बेल फोन के दाता, जनसंचार के भाग्य विधाता ।
   बल्ब प्रकाश खोज करि लीन्हा, मित्र एडीशन परम प्रवीना ।
   बायल और चाल्स ने जाना, ताप दाब सम्बन्ध पुराना ।
   नाभिक खोजि परम गतिशीला, रदरफोर्ड हैं अतिगुणशीला ।
   खोज करत जब थके टामसन, तबहिं भये इलेक्ट्रान के दर्शन ।
   जबहिं देखि न्यट्रोन को पाए, जेम्स चैडविक अति हरषाये ।
   भेद रेडियम करत बखाना, मैडम क्यूरी परम सुजाना ।
   बने कार्बनिक दैव शक्ति से, बर्जीलियस के शुद्ध कथन से ।
   बनी यूरिया जब वोहलर से, सभी कार्बनिक जन्म यहीं से ।
   जान डाल्टन के गूँजे स्वर, आशिंक दाब के योग बराबर ।
   जय जय जय द्विचक्रवाहिनी, मैकमिलन की भुजा दाहिनी ।
   सिलने हेतु शक्ति के दाता, एलियास हैं भाग्यविधाता ।
   सत्य कहूँ यह सुन्दर वचना, ल्यूवेन हुक की है यह रचना ।
   कोटि सहस्र गुना सब दीखे, सूक्ष्म बाल भी दण्ड सरीखे ।
   देखहिं देखि कार्क के अन्दर, खोज कोशिका है अति सुन्दर ।
   काया की जिससे भयी रचना, राबर्ट हुक का था यह सपना ।
   टेलिस्कोप का नाम है प्यारा, मुट्ठी में ब्रम्हाण्ड है सारा ।
   गैलिलियो ने ऐसा जाना, अविष्कार परम पुराना ।
   विद्युत है चुम्बक की दाता, सुंदर कथन मनहिं हर्षाता ।
   पर चुम्बक से विद्युत आई, ओर्स्टेड की कठिन कमाई ।
   ओम नियम की कथा सुहाती, धारा विभव है समानुपाती ।
   एहि सन् उद्गगम करै विरोधा, लेन्ज नियम अति परम प्रबोधा ।
   चुम्बक विद्युत देखि प्रसंगा, फैराडे मन उदित तरंगा ।
   धारा उद्गगम फिरि मन मोहे, मान निगेटिव फ्लक्स के होवे ।
   जय जगदीश सबहिं को साजे, वायरलेस अब हस्त बिराजै ।
   अलेक्जेंडर फ्लेमिंग आए, पैसिंलिन से घाव भराये ।
   आनुवांशिकी का यह दान, कर लो मेण्डल का सम्मान ।
   डा रागंजन सुनहु प्रसंगा, एक्स किरण की उज्ज्वल गंगा ।
   मैक्स प्लांक के सुन्दर वचना, क्वाण्टम अंक उन्हीं की रचना ।
   फ्रैंकलिन की अजब कहानी, देखि पतंग प्रकृति हरषानी ।
   डार्विन ने यह रीति बनाई, सरल जीव से सॄष्टि रचाई ।
   परि प्रकाश फोटान जो धाये, आइंस्टीन देखि हरषाए ।
   षष्ठ भुजा में बेंजीन आई, लगी केकुले को सुखदाई ।
   देखि रेडियो मारकोनी का, मन उमंग से भरा सभी का ।
   कृत्रिम जीन का तोहफा लैके, हरगोविंद खुराना आए ।
   ऊर्जा की परमाणु इकाई, डॉ भाषा के मन भाई ।
   थामस ग्राहम अति विख्याता, गैसों के विसरण के ज्ञाता ।
   जो यह पढ़े विज्ञान चालीसा, देइ उसे विज्ञान आशीषा ।
   श्री "निशीथ" अब इसके चेरा, मन मस्तिष्क में इसका डेरा  ।


This is not mine. Taken from Perfect Exam Explorer App

Sunday, 3 September 2017

1.कृष्णाष्टमी 2017

🌹🌹मनसुरचक🌹🌹:
👉विभिन्न मंडपो की प्रतिमाएँ:- (14 photos)






©ANKUR DUTTA JHA

Thursday, 3 August 2017

गणित की कविताएँ

शीर्षक:घन और घनाभ
ऐ धरती के चाँद सितारे,
घन में होते बारह किनारे
छह सतहें भी होती है।
और कोने होते हैं, आठ
ठीक तरह से समझो बच्चों
घन घनाभ के यही हैं, ठाठ


शीर्षक:गोला और शंकु
गोला का आयतन 4/3(πr3)[क्यु] 
4πr2पृष्ठ क्षेत्रफल का है, व्यु
 शंकु का है, अजब खेल 
वक्रपृष्ठ होता πrl [एल]
 संपुर्ण पृष्ठ πr(l+r)[आर] 
 1/3(πr2h)आयतन मेरे यार



©ANKUR DUTTA JHA

Saturday, 24 June 2017

एक दिवस नेम (व्यंग्य)

दिवस मनाने की परंपरा...
दिवस का नाम तो सुना ही होगा। हाँ भाई, अंग्रेजी में उसे
"डे"  कहते हैं। साल में तो ऐसे कई दिवस आते हैं। पर उसमें कुछ हम भी मनाते हैं। जैसे - मदर्स डे, फादर डे,टीचर्स डे, वुमेन डे, और न जाने हम कितने लिख दे।पर भाई, उनके सम्मान के लिए एक ही दिन है, क्या? उनकी उपेक्षा न करें। अन्य दिन भी सम्मान दें।
ऐसे तो हर दिन माता-पिता के बातों को टालते हैं। क्यों एक ही दिन FB पर उनकी सेल्फी डालते हैं। क्लास की मस्ती याद ही होगी। लेकिन सिर्फ टीचर्स डे के दिन उनका अनुशासन मानते हैं। क्यों? एक ही दिन तिरंगे को सलाम करते हैं। बाकी दिन जहाँ भी हो, उसे आम करते हैं। हर दिन इंग्लिश बाबू बने फिरते हैं। क्यों? एक ही दिन हिंदी से जुड़ते हैं। हर दिन तो महिलाओं को परेशान करते हैं। एक ही दिन क्यों? सम्मान करते हैं। अन्य दिन के बारे में तो आप सोच ही सकते हैं। 
हमारी सभ्यता तो हर दिन सम्मान करना सिखलाता है। यह एक दिन तो कोरम पुरा करना कहलाता है।
अंत में,

सबों का सम्मान करें,
हर दिन आखिरी दिन की तरह कुर्बान करें।
और हाँ अगले सुबह उठे तो...
.
.
.
.
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ईश्वर को धन्यवाद जरूर करें।
क्या भाई? भगवान को भी भुल जाते हो। उन्हें भी हर दिन याद करो!!!! 

Note: ज्यादा सीरियस में मत लें।


©ANKUR DUTTA JHA

Thursday, 22 June 2017

हम संस्कार भुल रहे हैं|

रचना तिथि :  2 नवम्बर 2016

एबेकस से कम्प्यूटर, 
घड़ा से रेफ्रीजरेटर,
कभी मशीनों से बेकारी
शुरू हो रही, नई पारी 
नए-नए आयाम खुल रहे हैं। 
और हम संस्कार भुल रहे हैं। 

मस्ती से अब मस्तीजादे, 
मिट रही पुरानी यादें
नदी, तालाब और पोखरिया, 
अबके स्विमिंग पूल रहे हैं। 
और हम संस्कार भुल रहे हैं। 

बैठे-बैठे सब काम हैं होते, 
आभासी दुनिया में सपने संजोते
खत्म हुआ अब मिलना-जुलना, 
अॉनलाईन ग्रुप खुल रहे हैं। 
और हम संस्कार भुल रहे हैं। 

धन्य हैं, लोग जो हल निकालते, 
मुसीबतों में ही समाधान तलाशते 
कितने आगे निकल गए,खोज करते-करते 
और अपनी सीमा बढ़ाकर लड़ते-लड़ते
अब सभी कोने दुनिया के, 
देखो, कैसे घुल रहे हैं। 
और हम संस्कार भुल रहे हैं। 

 

©ANKUR DUTTA JHA

महापर्व छठ

पूरब में फैल रही लाली व्रती देती अर्घ्य की थाली कब दर्शन देंगे ?दिवाकर भास्कर ,दिनकर, रवि, सुधाकर लेकर ईख ,नारियल, हल्दी डाला लेकर ...